आक्सीजन की कमी के कारण कोरोना मरीजों के इलाज के कड़वे अनुभव ने हमारे लिए एक सबक छोड़ा है और हमें इससे सीख लेने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए 100 या इससे अधिक बेड वाले बड़े अस्पतालों को सामान्य जरूरत से दो गुना क्षमता वाला पीएसए प्लांट लगाने को कहा। पीठ ने कहा कि यह उचित समय है कि बड़े अस्पतालों के पास अपना पीएसए प्लांट होना चाहिए, ताकि आपात स्थिति में सिर्फ बाहरी स्रोत पर निर्भर न रहना पड़े। पीठ ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिया कि सभी अस्पतालों के साथ चर्चा करके 27 मई को स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
पीठ ने कहा कि आक्सीजन की मांग बीते दिनों में पांच गुना तक बढ़ गई थी और ऐसे में जरूरी है कि बड़े अस्पतालों में लगने वाले प्लांट की क्षमता सामान्य स्थिति से कम से कम दो गुना अधिक हो। 50 से 100 बेड वाले नर्सिंग होम और अस्पतालों को पीठ ने निर्देश दिया कि अपनी जरूरत को पूरा करने वाला पीएसए प्लांट लगाएं ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न होने पर ये प्लांट मददगार साबित हों।
भारत में बनने वाले प्लांट को दें प्राथमिकता
पीठ ने कहा कि ऐसा दिखाई दे रहा हे कि ज्यादातर प्लांट को अभी भी इंस्टाल करना और शुरू करना बाकी है। पीठ ने कहा कि आगे आने वाले लहर की समस्या को देखते हुए उन प्लांट का इंस्टालेशन प्राथमिकता पर करना चाहिए जिनका निर्माण भारत में किया जा रहा है।
पार्किंग क्षेत्र में में पीएसए प्लांट लगाने की अनुमति पर करें विचार
पीठ ने आदेश देते समय रिकार्ड पर लिया कि इससे पूर्व की सुनवाई के दौरान मैक्स अस्पताल ने कहा था कि ओपन पार्किंग क्षेत्र में पीएसए प्लांट लगाने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा था कि इसके लिए उन्हें अपनी लागत पर मल्टी-लेवल पार्किंग का निर्माण करने की अनुमति देनी होगी। पीठ ने कहा कि इस तरह के प्लांट के इंस्टालेशन में जगह की जरूरत है और यह उचित होगा कि नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण बिल्डिंग-बाय-ला में कुछ राहत देनी होगी, ताकि ओपन पार्किंग क्षेत्र में पीएसए प्लांट लगाया जा सके।