कोरोना महामारी ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की हर स्तर पर कलई खोलकर रख दी है।
प्राणवायु यानी आक्सीजन आपूर्ति के लिए तो दिल्ली अन्य राज्यों पर निर्भर है ही, कोविड बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की भी यहां कोई सुविधा नहीं है। आलम यह है कि दिल्ली में कोविड बायोमेडिकल वेस्ट लगातार बढ़ रहा है। इस मामले में दिल्ली देश में चौथे नंबर पर पहुंच चुकी है, मगर इसका निस्तारण निजी एजेंसियों के जरिए अन्य राज्यों में हो रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में कोविड बायोमेडिकल वेस्ट बढ़ने की एक प्रमुख वजह कामन मेडिकल वेस्ट और कोविड मेडिकल वेस्ट को अलग नहीं किया जाना भी है। उनका कहना है कि यदि कोविड मेडिकल वेस्ट को कामन मेडिकल वेस्ट से अलग किया जाए तो न सिर्फ इसकी मात्रा में कमी आएगी, बल्कि कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) पर बोझ भी कम होगा।
दिल्ली का हाल भगवान भरोसे
11 जिलों में बंटी दिल्ली में बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए मौजूदा समय में एक भी प्लांट नहीं है। बवाना में एक प्राइवेट प्लांट निर्माणाधीन है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दो कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट एंड डिस्पोजेबल फैसेलिटिज (सीबीडब्ल्यूटीएफ) बनाने की योजना बनाई है। दोनों प्लांट बिल्ट, आपरेट, ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर बनेंगे और यह वेस्ट एकत्र करने, उसे प्लांट तक लाने और उसके निस्तारण तक की सारी जिम्मेदारी पूरी करेंगे। लेकिन यह योजना भी पिछले छह माह से फाइलों में ही है। कहने को डीपीसीसी ने इस बाबत निविदाएं भी मंगा ली हैं, लेकिन पहले इसकी अंतिम तारीख 15 फरवरी 2021 थी जो बाद में बार-बार बढ़ाते हुए अब चार जून 2021 कर दी गई है।
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