भारत बायोटेक में तैयार हुई स्वदेशी ‘कोवैक्सीन’ के टीके लगवाने वालों को विदेश यात्रा पर जाने में फिलहाल मुश्किलें आ सकती हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग यानि EUL में शामिल नहीं होने के कारण अन्य देशों में एंट्री लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. कई देशों ने टीका प्राप्त यात्रियों के लिए नीतियों की घोषणा कर दी हैं. वहीं, कुछ देश जल्द ही नए नियमों का ऐलान करने वाले हैं.
कोवैक्सीन का टीका लगवाने वाले लोग फिलहाल विदेश यात्रा नहीं कर पाएंगे। क्योकि डब्ल्यूएचओ की लिस्ट में भारत बायोटेक की वैक्सीन शामिल नहीं है। बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर से भारत सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और इधर कोरोनापाबंदियों की वजह से वैश्विक आवाजाही पर भी प्रतिबंध है। मगर अब जब पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज होने लगी है तो कई देशों ने ट्रेवल बैन में छूट देने का ऐलान किया है।
कई देश उन्हीं वैक्सीन को अनुमति दे रहे हैं, जिन्हें उनके नियामकों की तरफ से मंजूरी मिल चुकी हो या वे WHO की सूची में शामिल हों. फिलहाल इस सूची में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड, मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनेका (2), जेनसेन (अमेरिका और नीदरलैंड्स) और सिनोफार्म/बीबीआईपी का नाम शामिल है.
इमीग्रेशन एक्सपर्ट विक्रम श्रॉफ का कहना है कि अगर वैक्सीन EUL में नहीं है या विदेश में उसे मंजूरी नहीं मिली है, तो यात्री को टीका प्राप्त नहीं माना जाएगा. फिलहाल भारत में कोवैक्सीन और कोविशील्ड को अनुमति मिली हुई है. इसके अलावा रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V भी इस्तेमाल के लिए तैयार है. उम्मीद की जा रही है कि यह जल्द ही बाजार में व्यापक स्तर पर उपलब्ध हो जाएगी.
समीक्षा के बाद लिस्ट में किया जाएगा शामिल
विश्व स्वास्थ्य संगठन की लेटेस्ट गाइडेंस डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, इमर्जेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल होने के लिए भारत बायोटेक की ओर से इच्छा जाहिर की गई है, मगर संगठन की तरफ से और जानकारी मांगी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि प्री-सबमिशन मीटिंग मई-जून में प्लान की गई है, जिसके बाद कंपनी की तरफ से डोजियर सबमिट किया जाएगा। जिसकी समीक्षा की जाएगी और फिर इस पर फैसला लिया जाएगा। इस प्रक्रिया में अभी लंबा वक्त लग सकता है।