हर विद्यार्थी से ज़बरन वसूले 250 रूपए , कम्पटीशन के नाम पर भी 300 रूपए से 700 रूपए तक वसूले
पंजाब प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों द्वारा कोरोना काल में वसूली गयी फीस और हर वर्ष लिए जाने वाले एनुअल चार्जेज के केस के सम्बन्ध में अभी तक हाई कोर्ट में मामला विचारधीन है,इसी बीच ‘लक्की ड्रा’ निकाले जाने के नाम पर जालंधर महानगर के इनोसेंट हर्ट्स ग्रुप ऑफ़ स्कूल्ज द्वारा स्कूली बच्चो से ज़बरदस्ती 250/- रूपए प्रति स्टूडेंट वसूले जाने का मामला सामने आया है |
इनोसेंट हर्ट्स के एजुकेशन ग्रुप के विभिन्न स्कूलों के बच्चो से,लक्की ड्रा की टिकटों से वसूली गयी कुल रकम 25 लाख रूपए ! (सूत्रों के अनुसार-स्कूल की तरफ से पुष्टि होनी बाकी ) के करीब बनती बताई जा रही है, जिसके लिए अभी तक इनोसेंट हर्ट्स के स्कूलों ने बच्चो या उनके अभिभावकों को इसकी रसीद तक जारी नहीं की है |
हैरानीजनक बात ये भी है की पंजाब का कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था लाटरी या लक्की ड्रा के नाम पर किसी भी तरह की मनी सर्कुलेशन स्कीम को बढ़ावा नहीं दे सकता |
इस सम्बन्ध में ‘दी प्राइस चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स ( बैनिंग ) एक्ट , 1978’ के अनुसार प्राइज चिट्स , मनी सर्कुलेशन स्कीम्स अथवा सदस्य के रूप में भर्ती करना या उसमें भागीदार प्रतिबंधित है |
https://legislative.gov.in/sites/default/files/A1978-43.pdf
कोई भी व्यक्ति न तो इसे प्रमोट कर सकता है और न ही इसे चला सकता है | इसके अलावा ऐसी किसी स्कीम या चिट के माध्यम से किसी तरह की राशि वसूल कर सकता है |
अगर किसी चैरिटेबल अथवा एजुकेशनल संस्था ने ऐसा करना हो तो उसके लिए प्रदेश सरकार के साथ साथ भारतीय रिज़र्व बैंक से सहमति लेना आवश्यक है | ‘दी प्राइस चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स ( बैनिंग ) एक्ट , 1978’ के अनुसार अगर कोई संस्था या कोई व्यक्ति कोई टिकट , कूपन और कोई दस्तावेज प्रिंट करके प्राइज चिट या मनी सर्कुलेशन स्कीम में प्रयोग करता है तो उसे तीन वर्ष की सजा के साथ साथ जुरमाना या दोनों भी हो सकते है |
जब इस प्रोग्राम के बारे में स्कूल मैनेजमेंट से बात की गयी तो उन्होंने कहा की ये टिकट कंपल्सरी है और हर बच्चे को लेने ही होंगे चाहे आपके घर में इतने सदस्य हो या न हो , या चाहे आपके एक से ज़्यादा बच्चे यहाँ पढ़ते हो |
इनोसेंट ग्रुप की मनमानी और पैसो का लालच यही नहीं रुका , उन्होंने हर बच्चे से ( जो इस फंक्शन में परफॉर्म करना चाहता है या कम्पटीशन लड़ना चाहता है उन सबसे से बिना रसीद के एंट्री फीस के नाम पर 300 से लेकर 700 रूपए तक वसूल किये गए ) और सभी को स्टेज पर परफॉर्म करने की अनुमति दी गयी |
इसके अलावा भी कमीशन का खेल चलता रहता है, परफॉरमेंस ड्रेस , ग्रुप परफॉरमेंस ड्रेस , और मेले में पहुँचने के लिए स्पेशल ड्रेस कोड चाहे वो लड़की हो या लड़का , चाहे वो पार्टिसिपेट कर रहे हो या नहीं , सभी को ड्रेस लेना ही पड़ेगा जिसका किराया अलग वसूला जा रहा है |
अब देखना होगा की हर साल होने वाले स्कूलों के इस मेले के नाम पर बच्चों और उनके अभिभावकों से लाखों रुपए अवैध तरीके से वसूले जाते है , क्या उन्हें प्रशासन , महानगर के जिलादीश , रोक पाएंगे ? क्या इस मेले को रोकने के आदेश जारी होंगे ? क्या स्कूल से बच्चों को उनके पैसे वापस दिलाये जाएंगे ? क्या प्राइवेट स्कूलों की लूटखोरी ख़तम हो पायेगी ? क्यूंकि पढ़ाई के अलावा स्कूलों में वो सब कुछ हो रहा है जिससे की अभिभावकों की जेब खाली हो रही है और स्कूल प्रभन्दक हर साल एक नया स्कूल खोल रहे है और सरकार का खज़ाना खाली हो रहा है |
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