कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है. ये बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई, जिसमें 40 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया. इस बार की बातचीत में चार प्रस्ताव मेंं से दो पर रजामंदी हो गई है. एमएसपी और कानून वापसी पर चार जनवरी को फिर बातचीत होगी. वहीं, किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे.
बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद हैं। बैठक शुरू होने से पहले वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि वार्ता निर्णायक होगी। हालांकि, इस वार्ता के नतीजों को लेकर संशय है, क्योंकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। वहीं, सरकार कह चुकी है कि इन कानूनों में संशोधन तो हो सकता है, लेकिन उन्हें रद नहीं किया जाएगा।
किसान संगठनों के साथ 6 वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की वार्ता बहुत अच्छे माहौल में आयोजित की गई और यह एक सकारात्मक टिप्पणी पर संपन्न हुई। दोनों पक्षों के बीच 4 विषयों में से 2 पर सहमति बनी। पहला मुद्दा पर्यावरण से संबंधित एक अध्यादेश था। पराली के साथ किसानों को शामिल किए जाने के बारे में यूनियनें आशंकित थीं। संशोधित बिजली बिल और प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश पर सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति बनी है।
सरकार और किसान नेताओं की बैठक खत्म, तीनों कृषि कानून रद करने पर अड़े किसान, अगली बैठक 4 जनवरी को होगी
चर्चा के दौरान केंद्र सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार, किसान नेताओं के साथ बैठक में केंद्र ने कहा, रद नहीं होगा कृषि कानून, केंद्र ने किसान नेताओं से पहले आंदोलन खत्म करने के लिए कहा। एमएसपी पर भी कहा कि वे उस पर आगे बात कर सकते हैं।
दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और नरेंद्र सिंह तोमर ने विज्ञान भवन में दोपहर के भोजन के दौरान किसान नेताओं के साथ लंच किया। मंत्रियों ने लंगर ग्रहण किया। सरकार तीन कृषि कानूनों को लेकर दो घंटे से अधिक समय से किसानों के साथ बातचीत कर रही है।
किसान भवन में भोजन के लिए ले जाते एक ‘कार सेवा’ टेम्पो को विज्ञान भवन में देखा गया। केंद्र और किसान यूनियनों के बीच फार्म कानूनों पर सातवें दौर की बातचीत चल रही है।
किसान नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए न्याय और मुआवजे की मांग की।
कृषि कानून के मुद्दे पर किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच बातचीत शुरू हो गई है। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए 40 किसान संगठन पहुंचे हैं। सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल बैठक में शामिल हैं। किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, जो कि कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, किसानों और सरकार के बीच आज की वार्ता के लिए गाजीपुर बॉर्डर (यूपी-दिल्ली बॉर्डर) से दिल्ली में विज्ञान भवन के लिए रवाना हो गए हैं।
केंद्र सरकार से बातचीत के लिए किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल विज्ञान भवन पहुंच गया है। इस बीच एक किसान नेता ने कहा, ‘हमारा रुख स्पष्ट है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए।’
किसान नेताओं का प्रतिनिधिमंडल तीन कृषि कानूनों पर केंद्र के साथ बातचीत करने के लिए सिंघू बॉर्डर से विज्ञान भवन के लिए हुए रवाना। केंद्र सरकार आज प्रदर्शनकारी किसानों के साथ छठे दौर की वार्ता करने जा रही है।
दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा, ‘देखिए यह जरूरी है कि देश में मजबूत विपक्ष हो, जिससे सरकार को डर हो, लेकिन यहां वो नहीं है। इसी कारण किसानों को सड़कों पर आना पड़ा। विपक्ष को अपने टेंट में बैठने के बजाए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करना चाहिए।
किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह साबरा का कहना है कि किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत अभी तक हो चुकी है। हमें नहीं लगता कि हम आज भी किसी समाधान तक पहुंचेंगे। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए।
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