कृषि कानून को वापस लेने की डिमांड पर किसान अड़े हुए हैं. गुरुवार को केंद्र सरकार और किसानों की बातचीत का एक और दौर है. ऐसे में किसानों की ओर से लिखित में सरकार के सामने अपनी मांगों को रखा गया है, जिनपर वो किसी भी तरह लिखित में गारंटी चाहते हैं. पिछले एक हफ्ते से दिल्ली की सड़कों पर जारी आंदोलन को खत्म करने को लेकर सरकार लगातार किसानों को मनाने में जुटी है.
किसान संगठनों की मांगें–
• तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाए.
• किसानों के लिए MSP को कानूनी बनाया जाए.
• MSP को फिक्स करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले को लागू किया जाए.
• NCR रीजन में वायु प्रदूषण एक्ट में बदलाव को वापस लिया जाए.
• खेती के लिए डीजल के दामों में 50 फीसदी की कटौती हो.
• देशभर में किसान नेता, कवियों, वकीलों और अन्य एक्टिविस्ट पर जो केस हैं, वो वापस लिए जाएं.
किसानों और सरकार के बीच अबतक तीन दौर की बात हो चुकी है. एक दिसंबर को आखिरी बार किसान और सरकार एक ही टेबल पर थे, लेकिन चर्चा पूरी नहीं हुई थी. ऐसे में अब किसानों ने अपनी मांगों को लिखित में दिया है और पूरी गारंटी चाहते हैं. किसानों की ओर से कहा गया है कि अगर आज की बैठक में कोई हल नहीं निकलता है, तो किसानों का आंदोलन आक्रामक होगा और उसका अंत क्या होगा, कोई नहीं जानता है.
किसानों के साथ बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का कहना है कि आज किसानों से चौथे दौर की चर्चा हो रही है, उन्हें उम्मीद है कि सकारात्मक नतीजा निकलेगा. आज चर्चा में क्या रास्ता निकलता है, वो कुछ देर में साफ हो जाएगा.
किसानों के साथ चर्चा से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पीयूष गोयल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और किसानों की मांग के बारे में अवगत कराया. माना जा रहा है कि सरकार MSP पर किसानों को कोई ठोस भरोसा दे सकती है. दूसरी ओर आज अमित शाह ने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर से मुलाकात की, जिसमें किसानों के आंदोलन पर कोई निर्णय हो सकता है.
कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन अब पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अब गुजरात के किसान भी कृषि आंदोलन में शामिल हो गए हैं. पिछले एक हफ्ते से दिल्ली-एनसीआर की सड़कों को किसानों ने अपना अस्थाई घर बना लिया है.