सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन को नोटिफाईड किया है.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 में संशोधन किया है.इस संशोधन के बाद डीजल और पेट्रोल से चलने वाले कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर और निर्माण उपकरण वाहनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन इंजन में बदला जा सकता है.
मंत्रालय ने ट्वीट किया, ”मंत्रालय ने कृषि ट्रैक्टरों, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहनों और हार्वेस्टर के इंजनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन से बदलने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में एक संशोधन को नोटिफाईड किया है.”
हर साल हो सकती है डेढ़ लाख तक की बचत
सरकार के दावे के मुताबिक सीएनजी ट्रैक्टर के इस्तेमाल से एक साल में डेढ़ लाख तक बचत कर सकता है. क्योंकि अभी डीजल वाले ट्रैक्टर पर लगभग 3-3.5 लाख रुपए तक का खर्च आता है. इसके अलावा डीजल के मुकाबले सीएनजी ट्रैक्टर कार्बन उत्सर्जन भी कम करती है. जानकारों के मुताबिक सीएनजी कृषि वाहनों के इस्तेमाल से पचास फीसदी तक कार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है.