कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री जोगिंदर सिंह मान आज आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. कांग्रेस से 50 साल पुराना नाता तोड़ते हुए मान ने शुक्रवार को पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया था. अनुसूचित जाति समुदाय के नेता मान करोड़ों रुपये के पोस्ट-मैट्रिक एससी स्कॉलरशिप घोटाले के अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने और फगवाड़ा को जिला का दर्जा नहीं देने को लेकर कांग्रेस से नाराज चल रहे थे.
आप नेता और पंजाब के सह-प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि मान के पार्टी में शामिल होने से राज्य में आम आदमी पार्टी को काफी बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अरविंद जी के विजन से प्रेरित होकर पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री और तीन बार के विधायक जोगिंदर सिंह मान जी कांग्रेस से 50 साल पुराने नाता को खत्म करके AAP में शामिल हो गए. वह वर्तमान में पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन के अध्यक्ष थे. उनके शामिल होने से पंजाब की पार्टी इकाई को काफी बढ़ावा मिलेगा.’
जोगिंदर सिंह मान ने पार्टी और पंजाब कृषि उद्योग निगम के अध्यक्ष पद से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया था. सूत्रों ने इससे पहले बताया था कि मान के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की संभावना है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में फगवाड़ा के पूर्व विधायक ने कहा, ‘उनका एक सपना था कि वह एक कांग्रेसी के रूप में मरेंगे. लेकिन मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के दोषियों को कांग्रेस का संरक्षण प्राप्त है और ऐसे में मेरी अंतरात्मा मुझे यहां (पार्टी में) रहने की इजाजत नहीं देती है.’ बेअंत सिंह, राजिंदर कौर भट्टल और अमरिंदर सिंह नीत सरकारों में मान मंत्री भी रह चुके हैं.
मान ने कहा, ‘वह पहले दिन से तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के सामने फगवाड़ा को जिला का दर्जा देने के मुद्दे को उठा रहे थे. लेकिन इस पर कोई ध्यान देने के बजाय उन्होंने फगवाड़ा के निवासियों की लंबे समय से लंबित इस मांग को नजरअंदाज कर उनकी भावनाओं और आकांक्षाओं को ठेस पहुंचाया.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू जैसे राजे महाराजे, धनाढ्य और अवसरवादी नेताओं ने सिर्फ अपने निहित स्वार्थों के लिए पार्टी का इस्तेमाल किया, जिसके कारण पार्टी के सिद्धांत और मूल्य हाशिये पर चले गए. बस सबका एक ही मूल मंत्र रह गया है कि किस तरह चुनाव जीतकर सत्ता को हथियाया जाए.’ एससी छात्रवृत्ति घोटाला 2020 में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के बाद सामने आया था, जिसमें 55.71 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का पता चला था.