इन दिनों जालंधर में सबसे ज़्यादा चर्चे सेंट्रल हलके के पूर्व विधायक राजिंदर बेरी के है , क्यूंकि पिछले पांच सालो में उन्होंने जो हलके के विकास के नाम पर करोडो रुपए उजाड़े है , उसी के नाम पर आज वो घर घर वोट मांगते नज़र आ रहे है | आपकी आवाज़ बनकर हम आपको वो सब तस्वीरें दिखा रहे है और आगे भी आपको आपके हलके की तस्वीरें प्रस्तुत करेंगे क्यूंकि सच्चाई कभी झुकती नहीं और तस्वीरें सच बोलती है |
हम हमारे चैनल के माध्यम से सिर्फ इतना दिखाना और बताना चाहते है की जनता के करोडो रुपए जो टैक्स के रूप में जमा किये जाते है वो किस तरह इन विधायकों द्वारा बर्बाद किये जाते है | दरहसल , पूर्व विधायक राजिंदर बेरी ने बीते कुछ साल पहले कोट रामदास जोकि करोल बाग के साथ स्तिथ है में एक ऐसे जिम का उद्धघाटन किया था जो शमशान भूमि के साथ स्तिथ है , जहाँ सिर्फ या तो व्यक्ति मौत के बाद जाता है या वहाँ निगम कर्मियों ने अपने से सम्बंधित सामान रखा होता है , जो की आप तस्वीरो में भी देख सकते हो |
आपको बता दे की इस ओपन जिम में पूर्व विधायक साब ने सरकार के लाखों रुपए बर्बाद किये है | इस बात को हम पक्के तौर पर इसलिए कह सकते है क्यूंकि जिस शमसान भूमि में जिम का उद्धघाटन किया गया और वाह वाही लूटी थी , क्या कोई भी परिवार वाला खुद या अपने बच्चो को सुबह सुबह या शाम को भेजेगा? जी हाँ कुछ ऐसा ही राजिंदर बेरी ने सत्ता हासिल करने के बाद किया और आज यह जिम बिना किसी साफ सगाई के जंग में धीरे-धीरे तब्दील होने लगा है |
यही नहीं , जालंधर पॉश इलाके जहाँ पर कांग्रेस के ही मेयर जगदीश राजा और उनकी पत्नी पार्षद है , खुद विधायक राजिंदर बेरी ने उन इलाको की कभी सुद नहीं ली | विकास के नाम पर पिछले साढ़े चार सालो में कुछ नहीं हुआ और पिछले एक साल में ही मोहल्लो की गलियां बनाई गई | आज भी इलाके की मुख्य सड़के टूटी हुई है और इलाके में कूड़े के डंप ओवरफ्लो होते है |
बाज़ारो की बात करे तो , दुकानदारों और फड़ी वालो के द्वारा बाजार में किये गए अवैध कब्ज़ों के आपसी विवादों को सुलझाने और बाजार से कब्ज़े हटवा रोड खुलवाने की जगह विधायक साब हमेशा से ही राजनीति करते आये है | इसी वजह से एसोसिएशन के प्रधानों ने बेरी को इस बार समर्थन नहीं दिया |
राजिंदर बेरी ने सेंट्रल हल्के में अपने खासमखास पाँच सात लोगों को छोड़कर सभी को पहले छकाया भगाया और बाद में जब उनका विरोध बढ़ने लगा, यहाँ तक की उनके खिलाफ सेंट्रल हल्के से ही कई दावेदार भी खड़े हो गए, क्योंकि उनको भी पता था कि बेरी साहब ने विकास के नाम पर जनता के लिया क्या कुछ किया है और जब टिकट मिल गई तो, अपने ही साथियों के द्वारा उठे विरोध को शांत करने के लिए उनको लोभ-लालच देकर अपने पाले में फिर से शामिल कर लिया | यह हम नहीं कह रहे ,यह बीते दिनों छपी अख़बारों की सुर्खियां बता रही हैं |
अब देखना यह होगा की इन दिनों विकास के नाम पर लोगों से घर-घर जाकर वोट मांग रहे राजिंदर बेरी को इन विधानसभा चुनावों में जनता स्वीकार करते है या फिर करती है दरकिनार ?
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