भगवान केदारनाथ धाम के कपाट सोमवार सुबह 5 बजे खुल गए। हालांकि, कोरोना के चलते पिछले साल की तरह इस बार भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे। भक्तों सिर्फ ऑनलाइन ही दर्शन कर सकेंगे।
तीन धामों के कपाट खुल चुके हैं। 18 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने श्रद्धालुओं को अपने घर में रहकर ही पूजा-अर्चना करने की अपील की है। इससे पहले केदारनाथ भगवान की पंचमुखी डोली शनिवार शाम को ही पहुंच गई थी।
कोरोना के चलते चारधाम यात्रा बंद
कोरोना महामारी के चलते चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित की जा चुकी है। सभी धामों में पूजा पाठ से जुड़े लोगों को अंदर जाने की अनुमति रहेगी। इनकी संख्या भी 25 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साथ ही कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया जाएगा।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में देवस्थानम बोर्ड ने कपाट खुलने की तैयारियां पूरी कर ली है। सेनिटाइजेशन, साफ-सफाई, बिजली-पानी की आपूर्ति, रावल, पुजारियों, वेदपाठियों के लिए आवास की व्यवस्था भी की गई है। मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग, थर्मल स्क्रीनिंग को अनिवार्य किया गया है। देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह केदारनाथ धाम में व्यवस्थाओं पर पैनी नजर रखे हुए हैं।
चार धाम में पहली पूजा प्रधानमंत्री की ओर से की जा रही
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि जनकल्याण के लिए चारों धामों में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की जा रही हैं। यह पूजाएं देवस्थानम बोर्ड और मंदिर समितियां ही कर रही हैं।
रविवार को नृसिंह मंदिर से आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के साथ योगाध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंच गई है। सोमवार शाम को उद्धव जी और कुबेर जी के साथ ही आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी बद्रीनाथ धाम पहुंच जाएगी।
चारधाम मतलब बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं। यहां इन्हें चारधाम कहा जाता है। चारधाम के कपाट हर साल शीतकालीन अवकाश के 6 महीने बाद अप्रैल-मई में खोले जाते हैं। पिछले साल भी कोरोना के चलते यहां भक्तों को एंट्री नहीं मिली थी। इस बार भी मुख्यमंत्री ने 29 अप्रैल को ही श्रद्धालुओं की एंट्री बंद करने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि धामों के कपाट अपने नियत समय पर ही खुलेंगे लेकिन वहां केवल तीर्थ पुरोहित ही नियमित पूजा करेंगे।