चक्रवात टाक्टे अपने पीछे मौत और भारी तबाही का दर्दनाक मंजर छोड़ गया है। मुंबई हाई के बीच समुद्र में डूबे बजरे से लापता लोगों के जहां बुधवार को 26 शव निकाल गए वहीं गुजरात में तूफान के कारण अब तक 45 लोगों की जान जाने की पुष्टि हो चुकी है।
प्रधानमंत्री ने बुधवार को गुजरात और दीव में तूफान के कारण हुए नुकसान का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने बजरे पर फंसे लोगों की तलाश में चलाए जा रहे अभियान की भी जानकारी ली। पीएम ने टाक्टे तूफान के कारण सभी राज्यों के मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की सहायता की घोषणा भी की।
टाक्टे चक्रवात के कारण अपना लंगर छोड़ चुके बजरे पी-305 के लापता लोगों में से 26 के शव तलाश लिए गए हैं। बाकी की तलाश अभी जारी है। चूंकि बजरे पर मौजूद सभी लोगों ने लाइफ जैकेट पहन रखी थी, इसलिए बचाव दल ने लापता लोगों के जीवित मिलने की उम्मीद अभी छोड़ी नहीं है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी ओएनजीसी के तेल कुएं हीरा के निकट लंगर डाले खड़ा बजरा पापा (पी-305) सोमवार सुबह ही तेज हवाओं के कारण लहरों के साथ बहने लगा था। इस बजरे पर 261 लोग सवार थे। बजरे में मोटर नहीं लगी थी, इसलिए क्रू सदस्य इसे नियंत्रित नहीं कर सके। इस बजरे के क्रू मेंबर्स का कहना है कि सोमवार सुबह बजरा किसी चट्टान से टकराया और उसके तल में छेद हो गया। बजरे पर सवार लोगों से कहा गया कि वे लाइफ जैकेट पहन लें। सोमवार शाम जब बजरा डूबने लगा तो उस पर सवार लोगों के पास पानी में कूदने के सिवा कोई चारा नहीं बचा। नौसेना एवं कोस्टगार्ड की टीमें ऐसे ही कई-कई घंटे से तैर रहे लोगों को बचाने में कामयाब रही हैं। बुधवार सुबह नौसेना का जंगी जहाज आइएनएस कोच्चि करीब सवा सौ लोगों को लेकर मुंबई के तट पर पहुंचा। बुधवार सुबह से चल रहे बचाव कार्य में जिंदा लोग कम ही मिल रहे हैं। शाम तक 26 लोगों के शव ही ढूंढे जा सके हैं।
ठीक नहीं थी बजरे की स्थिति
पापा-305 से बचा कर लाए गए लोगों का कहना है कि इस बजरे की स्थिति समुद्री तूफान आने के पहले से ही ठीक नहीं थी। इसलिए कुछ लोग आठ मई को ही कुछ दूसरे बजरों और नौकाओं की मदद से यहां से निकल गए थे। चूंकि यह बजरा मुंबई से करीब 70 किमी.दूर अलीबाग तट से कुछ ही दूरी पर खड़ा किया गया था, और बजरे पर सवार लोगों को मोबाइल कनेक्टिविटी मिल रही थी, इसलिए बचाव दल इस बजरे की ओर से निश्चिंत था। तूफान शुरू होने पर पहले दूर खड़े बजरों और आयल रिग (तेल के कुओं) पर फंसे लोगों पर ध्यान दिया गया। लेकिन इसी बीच पापा-305 का लंगर छूट गया और वह बहने लगा। नौसेना और कोस्टगार्ड की मदद पहुंचती, तब तक बजरे पर सवार लोग लाफ जैकेट पहनकर समुद्र में कूद चुके थे। खराब मौसम और अंधेरे के कारण उन्हें बचाना बहुत मुश्किल हो गया था। चक्रवात टाक्टे के मुंबई से गुजर जाने के बाद भी समुद्र में आठ से 10 मीटर ऊंची लहरें उठ रही हैं, और दृश्यता लगभग शून्य है। इसलिए भी लोगों को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। आशंका है कि लाइफ जैकेट पहने होने के कारण लोग लहरों के साथ दूर निकल गए होंगे। ऐसे लोगों की तलाश नौसेना एवं कोस्टगार्ड के हेलीकाप्टरों से की जा रही है।
अनुबंध पर काम कर रहे थे हादसे के शिकार हुए लोग
पापा-305 बजरे पर रहने वाले कामगार ज्यादातर अनुबंध पर काम करने वाले हैं। ओएनजीसी के तेल क्षेत्र में एफकान कंपनी अपनी सहयोगी कंपनी हालानी-टेस-नौवटा के साथ मिलकर काम कर रही है। इन दोनों कंपनियों की ओर से मेसर्स दुर्मस्त एंटरप्राइजेज लि.ने ठेके पर इन लोगों को काम पर लगाया था।