कोरोना काल में बर्बाद हुए पंजाब के पोल्ट्री फार्म उद्योग पर अब बर्ड फ्लू (Bird flu) के कारण संकट के बादल छा गए हैं। बर्ड फ्लू को लेकर हिमाचल सरकार द्वारा मुर्गों व अंडों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद पंजाब के पोल्ट्री फार्मों को वायरस फ्री करने का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है।
अगर फ्लू फैलता है तो कोरोना का कहर ठंडा पड़ने के बाद दोबारा खड़ा हो रहा पोल्ट्री फार्म उद्योग तबाह हो जाएगा। पंजाब से रोजाना तीन करोड़ अंडों व ढाई से तीन लाख मुर्गों की सप्लाई पंजाब सहित हिमाचल, जम्मू कश्मीर में की जाती है।
हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश व केरल में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। पंजाब के होशियारपुर व हिमाचल के पौंग डैम में 24 सौ से ज्यादा पक्षियों के मरने के मामले सामने आ चुके हैं। इनके मरने के पीछे बर्ड फ्लू की पुष्टि भी हो चुकी है।
पोंग डैम जलागाह में प्रवासी पक्षियों की रहस्यमय मौत जारी है। वन्यजीव विभाग के अनुसार, आज शाम 5 बजे तक पौंग बांध झील के किनारे से लगभग 627 अधिक मृत प्रवासी पक्षी पाए गए हैं। एक हफ्ते बाद, प्रवासी पक्षियों की मौत एक रहस्य बनी हुई है। हिमाचल प्रदेश के वन्यजीव विभाग ने पक्षियों की मौत का कारण जानने के लिए देश भर की विभिन्न प्रयोगशालाओं में नमूने भेजे हैं। विभाग को रिपोर्ट का इंतजार है।
वन्यजीव विभाग, हिमाचल प्रदेश के डीएफओ, राहुल एम रहाणे और वन रेंज अधिकारी, सेवा सिंह ने कहा कि प्रवासी पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए देश भर की विभिन्न प्रयोगशालाओं में नमूने भेजे गए हैं। विभाग शुक्रवार तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि वन राग बीट धमेता और नगरोटा सूरी से आज कुल 627 प्रवासी पक्षी 122 और 505 में मृत पाए गए।
पिछले साल 29 दिसंबर के बाद से लगभग 1,800 प्रवासी पक्षी मृत पाए गए हैं। यह याद किया जा सकता है कि कांगड़ा जिला प्रशासन ने बड़ी संख्या में मृत प्रवासी पक्षियों का कड़ा नोटिस लेते हुए पोंग डैम झील के 10 किलोमीटर के दायरे को ‘अलर्ट जोन’ घोषित किया है।
जालंधर में स्थित आरडीडीएल नार्थ इंडिया के प्रभारी डा. एसपी सिंह के अनुसार इस प्रकार के फ्लू को लेकर वायरस पक्षियों में 105 दिन तक जिंदा रह सकता है। अलबत्ता पक्षी की मौत के बाद भी 4 डिग्री तापमान तक वायरस 23 दिनों तक जिंदा रहता है। इसकी वजह से इंसानों में भी संक्रमण का खतरा लगातार बरकरार रहता है।
बर्ड फ्लू के कारण पोल्ट्री फार्म उद्योग को दोहरा नुुकसान होता है। पहला फार्मों में तैयार लाखों मुर्गों व अंडों का नष्ट करना पड़ता है। बीते सालों में फैले बर्ड फ्लू को रोकने के लिए लाखों मुर्गे वअंडों का नष्ट किया गया था। इसके अलावा संक्रमण से बचने के लिए ज्यादातर लोग मुर्गे व अंडों का सेवन करना छोड़ देते हैं। फ्लू खतम होने के बाद भी काफी दिनों तक यह सिलसिला जारी रहता है।
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