प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती हुई गुंडागर्दी , क्या दिल्ली क्या पंजाब सब बराबर , अभिवावक हो रहे परेशान

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आज के समय में स्कूल संस्थान एक बिज़नेस के रूप में उभर रहे है जहाँ शिक्षा और खेल कूद का स्तर लगातार गिर रहा है,क्यूंकि स्कूल में बच्चे हर साल एडमिशन लेते है और अभिभावक ये सोचकर स्कूल भेजते है की वहा टीचर उन्हें अच्छा पढ़ाएंगी और भविष्य के लिए तैयार करेंगी मगर ऐसा हो नहीं रहा ,बल्कि अभिभावकों की जेब लगातार दिल्ली करवाई जाती है कभी स्कूल टूशन फीस , एडमिशन फीस , कंप्यूटर फीस , स्पोर्ट्स फीस , लेट फीस , फाइन चार्जेज इतियादी |

2025 की ही बात कर लेते है ! किसी एक स्कूल का नाम न लेकर यहाँ बात सभी स्कूलों की हो रही है | आप सभी जानते है की लगातर हर साल फीस में बढ़ोतरी बेतहाशा की जाती है कभी डेवलपमेंट के नाम पर , सैलरी बढ़ोतरी के नाम पर , कभी महंगाई के नाम पर , मगर होता क्या है – टीचर की सैलरी नहीं बढ़ती , डेवलपमेंट स्टूडेंट के लिए नहीं पर स्कूल अथॉरिटीज की ज़रूर होती है , महंगाई अभिभावकों के लिए बढ़ जाती है , एनुअल चार्जेज के नाम पर लूट मची हुई है और हर साल ये लूट 10 % के स्तर से बढ़ रही है और ये चार्जेज रिजल्ट के दिन ही भरनी होती है और जितने दिन लेट करोगे 100 रुपए से 200 रुपए तक रोज़ का फाइन लगेगा | और वही हाल टूशन फीस का है जो की हर साल बढ़ तो जाती है और तीन महीनो की एडवांस जमा करवानी पड़ती है नहीं तो उसपे भी फाइन लग जाता है |

कंप्यूट फीस , एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज और स्पोर्ट्स के नाम पर भी चार्ज वसूला जाता है पर सिखाया प्रैक्टिकल कुछ नहीं जाता | जो बच्चा एक्टिव होता है उसको कम्पीटीशन्स में भेजा जाता है और अगर जीत गया तो नाम स्कूल का ! और उसमें भी स्कूल फीस डिस्काउंट के नाम पर मात्र 5 % स्कालरशिप ? इसीलिए कोई अभिभावक इस और ध्यान नहीं देते और बच्चे भी मायूस रहते है |

जहाँ स्कूल टीचर्स को टारगेट है की बच्चे को सिलेबस जल्दी जल्दी कम्पलीट करवाना है वही बच्चे की परेशानिया और कम्प्लेंट्स टीचर्स को नज़र नहीं आती और बच्चा कोई गलती करता है तो ज़िम्मेदारी अभिभावक पर ही मड दी जाती है | स्कूल में सिर्फ सिलेबस चलते करो और एग्जाम दो सिर्फ यही बच्चे करते रह जाते है |

अब बात कर लेते है सबसे ज़रूरी , किताबो की जहाँ पर कोई प्राइवेट स्कूल शायद ही कानून मानता है | अगर कानून कहता है की शिक्षा के लिए सिर्फ NCERT की किताबे पढ़ाई जाए तो स्कूल इसके नाम पर 4 किताबे NCERT की लगता है और बाकी एक्स्ट्रा किताबे कोई और पुब्लिकेशन्स की जिसमें स्कूल की पार्टनरशिप होती है | हर किताब अलग पब्लिशर की होती है ताकि कोई नाराज़ न हो और अभिभावक से मोटा पैसा लिया जाता है | यही नहीं अगर बड़ी कक्षाओं की बात करे तो सभी किताबे NCERT की होने की बावजूद उतनी ही किताबे EXAMPLER के नाम पर हर सब्जेक्ट की लगवाई जाती है और सभी किताबे अलग अलग पब्लिशर की होती है , जिसमें की अभिभावकों से मोटा पैसा लूटा जाता है |

अब राजनीति की तरफ आते है जहाँ हर राजनितिक पार्टी शिक्षा पर ज़ोर देती है मगफर ज़िम्मेदारी सिर्फ सरकारी स्कूलों की ली जाती है जहाँ कोई अभिभावक जो मिडिल क्लास से या उप्पेर क्लास से आता है अपने बच्चो को PSEB में नहीं पढ़ना चाहता | मगर सरकार कोई भी हो शिक्षा के प्राइवेट संस्थानों को हाथ नहीं लगाती न ही इनके लिए कोई रेगुलेशन सेट करती है क्यूंकि राजनितिक पार्टियों के अपने फायदे है जिनके कारण स्कूल दिन दुगनी रात चौगुनी अपनी तर्रक्की कर रहे है | और सरकार सिर्फ इस मुद्दे पर राजनीति करती आ रही है जैसे की दिल्ली में इस वक़्त देखने को मिल रहा है , मगर पंजाब में इतने सालो से और अभी तक ये मुद्दा सिर्फ राजनीति की भेट चढ़ रहा है |

शिक्षा का स्तर लगतार आम अभिभावकों से दूर होता जा रहा है और इसका कारण बढ़ती फीस , एनुअल चार्जेज , एडमिशन फीस , किताबो के बढ़ते रेट है और इसको सुधरने के लिए सर्कार को उचित कदम उठाने पढ़ेंगे |

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