भारतीय नौसेना (Indian Navy) को 6 पनडुब्बियों (Submarine) की जरूरत है. नौसेना इसके लिए 6 पारंपरिक हमलावर जहाजों को परमाणु संचालित प्लेटफार्मों से बदलना चाहती है.
प्रशांत महासागर में बदले रणनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर भारतीय नौसेना ने कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (CCS) की ओर से अनुमोदित 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण योजना में बदलाव करने को लेकर मंजूरी के लिए केंद्र सरकार से संपर्क किया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक 18 पारंपरिक डीजल हमले की पनडुब्बियों की जगह नई पनडुब्बियों को शामिल करने के लिए नौसेना ने सरकार से इजाजत मांगी है. इन 18 पनडुब्बियों में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन और 6 परमाणु हमले वाली पनडुब्बी शामिल हैं. नौसेना का यह प्लान चीन की बढ़ती पनडुब्बी ताकत और भविष्य में हिंद महासागर में अपनी पैठ बनाए रखने का हिस्सा है.
भारतीय नौसेना के पास इस समय 12 पुरानी पारंपरिक हमलावर पनडुब्बियां और तीन नई कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां हैं.
10 साल लग जाएंगे निर्माण में
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत छह परमाणु संचालित पनडुब्बियों का निर्माण होगा. भारतीय नौसेना के अनुमान के अनुसार इस परियोजना को पूरा होने में कम से कम 10 साल लगेंगे. नौसेना चाहती थी कि 30 साल की पनडुब्बी बल के स्तर को पूरा करने के लिए छह और एआईपी सुसज्जित डीजल पनडुब्बियों को जोड़ा जाए. राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों ने एडमिरल को आश्वस्त किया कि परमाणु हमले वाली पनडुब्बी महीनों तक सतह से नीचे रहने की क्षमता के साथ एक अधिक शक्तिशाली मंच है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के स्वदेशी रूप से एआईपी तकनीक विकसित करने में सक्षम होने के साथ, सभी आईएनएश कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों को अपग्रेड या मिड-लाइफ रिफिट के दौरान नई तकनीक के साथ फिर से लगाया जाएगा.
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